लोपामुद्रा : वैदिक भारत की महिला दार्शनिक
लोपामुद्रा को कौशितकी और वरप्रदा के नाम से भी जाना जाता है. लोपामुद्रा अगस्त्य ऋषि की पत्नी थीं. उनके पिता विदर्भराज थे. प्राचीन भारतीय वैदिक साहित्य के अनुसार वह एक प्रसिद्द दार्शनिक थीं. लोपामुद्रा ने भी ऋचाओं का संकलन किया है.
लोपामुद्रा का चरित्र भारतीय नारी का सटीक चित्रण प्रस्तुत करता है. वह पति की पद – पद अनुगामिनी थीं. उन्होंने कभी भी पति की आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया. जीवन में एक भी ऐसा अवसर नहीं आया जब उन्होंने पति के किसी कार्य में दोष निकाला हो या अपना असंतोष प्रकट किया हो.
वह एक सुगृहिणी थीं. अतिथि सत्कार में उनकी विशेष रुचि थी. वे एक ऋचा में कहती हैं –
“हे स्वामी ! सम्पूर्ण जीवन आपकी सेवा में बिता कर मैं थक गई हूँ. मैं वृद्धा हो गई हूँ. मेरे शरीर में पहले जैसी शक्ति नहीं रही. इतना होने पर भी मुझे आपकी सेवा में जो आनन्द आता है वह अतुलनीय है. आपकी सेवा ही मेरे जीवन की परम तपस्या है. हे प्रभु ! मुझ पर अपना अनुग्रह बनाए रखें.”
कहा जाता है कि लोपामुद्रा की रचना ऋषि अगस्त्य ने ही की थी. जैसा कि उनके नाम से ही स्पष्ट है कि उनकी रचना के दौरान पशु -पक्षियों और पेड़ पौधों की मुद्राओं का लोप हो गया था.
लोपामुद्रा को कौशितकी और वरप्रदा के नाम से भी जाना जाता है. लोपामुद्रा अगस्त्य ऋषि की पत्नी थीं. उनके पिता विदर्भराज थे. प्राचीन भारतीय वैदिक साहित्य के अनुसार वह एक प्रसिद्द दार्शनिक थीं. लोपामुद्रा ने भी ऋचाओं का संकलन किया है.
अगस्त्य एवं लोपामुद्रा Image: wikipedia |
वह एक सुगृहिणी थीं. अतिथि सत्कार में उनकी विशेष रुचि थी. वे एक ऋचा में कहती हैं –
“हे स्वामी ! सम्पूर्ण जीवन आपकी सेवा में बिता कर मैं थक गई हूँ. मैं वृद्धा हो गई हूँ. मेरे शरीर में पहले जैसी शक्ति नहीं रही. इतना होने पर भी मुझे आपकी सेवा में जो आनन्द आता है वह अतुलनीय है. आपकी सेवा ही मेरे जीवन की परम तपस्या है. हे प्रभु ! मुझ पर अपना अनुग्रह बनाए रखें.”
कहा जाता है कि लोपामुद्रा की रचना ऋषि अगस्त्य ने ही की थी. जैसा कि उनके नाम से ही स्पष्ट है कि उनकी रचना के दौरान पशु -पक्षियों और पेड़ पौधों की मुद्राओं का लोप हो गया था.
No comments:
Post a Comment