Saturday, 4 July 2015

सकारात्मक ऊर्जा का अक्षय स्रोत

नेपोलियन की सेना आल्पस महापर्वत के समीप आकर रुक गयी. सबका हिम्मत पस्त हो चला था. हजारों फीट ऊँचे इस महापर्वत के उस पार जाकर आक्रमण करना था. महानायक नेपोलियन ने अपने सैनिको के गिरते मनोबल को भांप लिया. 
सैनिको से आह्वान किया - " मेरे वीर सैनिको! समझो सामने आल्पस है ही नहीं.' सैनिक उत्साह से भर गए और देखते ही देखते आल्पस को लांघ गए.
साथियों! कई बार हमारे साथ भी ऐसा ही होता है. हम सामने मुसीबत को देख घबरा जाते हैं. हम उस कार्य को करने की बजाय उससे दूर भागने लगते हैं. लेकिन कभी किसी घरवाले या दोस्त या teacher की बात हमें नयी ऊर्जा से भर देते हैं और फिर हम उस काम को आसानी से कर लेते हैं.

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